Friday, May 4, 2018

Jinnah at AMU

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स यूनियन हॉल में लगी जिन्ना की तस्वीर का मामला शांत होता नही दिख रहा। यह मामला पिछले 2 मई से गरमाया हुआ है आगे भी इस पर राजनीति होने की पूरी संभावना है।
क्या है पूरा मामला
इस मामलें की शुरुआत भाजपा सांसद सतीश गौतम के ट्वीट से हुई। उन्होंने ट्वीटर पर कहा कि ऐसी क्या मजबूरी है जो एएमयू प्रशासन को विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगानी पड़ रही है। सतीश गौतम का कहना है कि उन्होंने इस बाबत एएमयू के कुलपति को पत्र लिख कर एएमयू के छात्रसंघ कार्यलय में लगी जिन्ना की तस्वीर पर आपत्ति जताई और इसको हटाने की मांग की, जबकि इस संबंध में विश्विद्यालय का कहना है कि इस बाबत उन्हें कोई पत्र नही मिला।
सतीश गौतम के ट्वीट के बाद हिन्दू जागरण मंच , एबीवीपी  और हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय से जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए मुख्य गेट के बाहर बबाल काटा, जिन्ना का पुतला फूंकने का प्रयास किया और जय श्री राम, भारत माता की जय और बंदेमातरम जैसे नारे लगाते हुए, हाथों में पत्थर और बेल्ट लिए परिसर में घुसने की कोशिश की। इसके बाद हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ता छात्रों से भिड़ गए। इसके विरोध में छात्र थाने जाने लगे, थाने जा रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसमें एएमयू के छात्रसंघ अध्यक्ष के साथ अन्य छात्रों को काफी चोट आई जिससे छात्र भड़क गए और बाब ए सय्यद गेट पर धरने पर बैठ गए।
छात्र नेताओं की और से भाजपा सांसद सतीश गौतम, संघ, विहिप, हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं और सीओ सिटी के खिलाफ तहरीर दी और गिरफ्तारी न होने तक धरना जारी रखने का ऐलान किया। इसके बाद जिलाधिकारी ने घटनाक्रम की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।
तस्वीर का इतिहास
भारत विभाजन से पहले 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मानद सदस्यता प्रदान की गई थी, उसी दौरान यह तस्वीर लगायी गयी थी।
कौन थे मोहम्मद अली जिन्ना
मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का संस्थापक माना जाता है, पाकिस्तान में उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जाता है। भारतीय राजनीति में जिन्ना कांग्रेस के एक बड़े नेता के तौर पर जाने जाते थे। जिन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। वे अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। काकोरी कांड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास में बदलने के लिए सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपतराय आदि ने हस्ताक्षर किये थे।
जिन्ना ने बाल विवाह निरोधक  कानून बनाने और साण्डर्स समिति के गठन के लिए काम किया, जिसके तहत देहरादून में भारतीय मिलिट्री अकादमी की स्थापना हुई।
प्रतिक्रियाएं
इस संबंध में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना एक महान व्यक्ति थे, उन्होंने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया, उन पर उंगली उठाना गलत बात है।

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि इस घटिया राजनीति में मुझे मत घसीटीए, ये बहस नेताओं के लिए ही रहने दो।

एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष मशकूर अहमद का कहना है कि जिन्ना की तस्वीर एक ऐतिहासिक तथ्य है और हम इतिहास को बदलने में यकीन नही रखते। भारत विभाजन से पहले 1938 में जिन्ना को मानद उपाधि प्रदान की गई थी, उसी दौरान यह तस्वीर लगाई गई थी। आरएसएस के इशारे पर यह प्रकरण उठाया गया है ताकि कर्नाटक और आगामी लोकसभा चुनावों में धुर्वीकरण किया जा सके और हॉल में जिन्ना की लगी तस्वीर का यह मतलब नही है कि छात्र जिन्ना से प्ररेण लेते हैं।

2005 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष नेता बता चुके हैं।

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