Tuesday, July 24, 2018

तीन तलाक और भारत की समस्याएं

विश्व बैंक के ताजा आँकड़ों के अनुसार भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हमनें छठे स्थान पर पहुँचने के लिए फ्रांस को पीछे धकेला है और जल्दी ही ब्रिटेन को पीछे छोड़कर हम पांचवें स्थान पर आने वाले हैं।
विश्व बैंक के अनुसार भारत की जीडीपी 2.597 खरब डॉलर है जबकि फ्रांस की हमसे कम 2.582 खरब डॉलर है और हमारा अगला  प्रतिद्वंद्वी ब्रिटेन हमसे कुछ ही दूरी पर यानी 2.622 खरब डॉलर पर है। देश के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है और इसके लिए सभी देशवासी बधाई के पात्र हैं।

विश्व में हम छठे स्थान पर तो पहुंच गए लेकिन देश में अभी भी बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे पार पाना बहुत जरूरी है।
इन समस्याओं को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। आज मेरे इस ब्लॉग का यही मकसद है कि मैं अपने देशवासियों को देश की कुछ समस्याओं से अवगत करा सकूँ।
समस्याओं को मैंने दो वर्गों में विभाजित किया है।
1. वह समस्याएं जिन्हें सरकार असली समस्या मानती है।
आइये देखते हैं सरकार किन समस्याओं को देश की असली समस्या मानती है। काफी सोचने के बाद मुझे सिर्फ एक ही ऐसी समस्या मिली जिसे लेकर सरकार गंभीर है और जल्दी से जल्दी उसका समाधान चाहती है।
तीन तलाक - जी हाँ, सरकार की नज़र में आज की तारीख में अगर कोई समस्या है जिसकी वजह से सीमा पर लगातार घुसपैठ बढ़ती जा रही है, देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, शिक्षा का स्तर गिर रहा है, भुखमरी बढ़ी है, बच्चे कुपोषित हो रहें हैं, तो इस सब की एक वजह है, वह है तीन तलाक। इसलिए सरकार तीन तलाक के मुद्दे के समाधान के लिए इतनी प्रयत्नशील है क्योंकि डॉलर आज लगभग 70 के बराबर है और इसे 40 के स्तर तक लाना है तो सबसे पहले तीन तलाक का मुद्दा सुलझाना होगा।
सरकार इस समस्या को सुलझाने में इतनी गंभीर है अभी हाल ही में मानसून सत्र शुरू होने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने को कहा तो सरकार की ओर से जवाबी खत में महिला आरक्षण विधेयक पास कराने के लिए उससे पहले तीन तलाक बिल पास कराने की शर्त रखी।
सरकार इस बिल को पास कराने के लिए शायद इस लिए तत्पर है क्योंकि गुजरात के लगभग8 जिलों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं और यह बिल संसद में पास हो जाता है तो बाढ़ का पानी अपने आप वापस जा सकता है।
आखिर तीन तलाक विधेयक में ऐसा क्या है, जो सरकार इसे पास कराने के लिए इतनी जद्दोजहद कर रही है।
तीन तलाक को कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया था, मतलब अब अगर कोई पति अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो कानूनी रूप से वह तलाक नहीं माना जायेगा।
अब सरकार का पक्ष देखिये, सरकार चाहती है कि जो पति अपनी पत्नी को तीन तलाक दे उसको कम से कम तीन साल की सज़ा का प्रावधान हो और वह अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता भी देगा। यही पर असली पेच है। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि किसी ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया तो वह तलाक नही माना जायेगा यानी वह दोनों पहले की तरह ही पति पत्नी हैं। ऐसी स्थिति में सरकार चाहती है कि पति को उठाकर जेल में डाल दिया जाए और पत्नी को बेसहारा कर दिया जाए और अब जब पति जेल में है तो वह पत्नी को बिना कमाए गुजारा भत्ता दे, वह भी उस अपराध के लिए जो कभी हुआ ही नही है क्योंकि संविधानिक रूप से वह अब भी पति पत्नी हैं उनके बीच कभी तलाक हुआ ही नही।

खैर इनके अतिरिक्त भी देश में छोटी छोटी समस्याएं है, जिन्हें मैं देश की वास्तविक समस्या मानता हूँ। उनमें से कुछ निम्न हैं-
1. साक्षरता दर- 2011 की जनगढना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 74.04% है। वर्ल्ड एटलस के अनुसार भारत साक्षरता दर के आधार पर विश्व में 159वें स्थान पर है। अफसोस होगा यह जानकर कि घाना, केन्या, यूगांडा, सूडान, इराक, ज़िम्बाब्वे, ईरान, लेबनान, लीबिया जैसे देश साक्षरता दर में हमसे आगे हैं।
आल ग्लोबल मोनिटरिंग रिपोर्ट 2014 के अनुसार देश में लगभग 28.7 करोड़ लोग निरक्षर हैं, विश्व के कुल निरक्षर लोगों का 37% हमारे देश भारत में है।
आज भी देश में 40% बच्चे आठवीं कक्षा पास करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं।
यूनिसेफ के मुताबिक भारत के 8 करोड़ बच्चे कभी स्कूल जा ही नही पाते।
29% स्कूलों में मैथ तथा साइन्स के अध्यापक ही नही हैं।
अध्यापक तो बाद की बात है, देश के 85% गांवों में सेकंडरी स्कूल तक नही हैं।
एचआरडी मंत्रालय के मुताबिक देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में करीब 40 % शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
2. बेरोजगारी- अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन की नवीनतम रिपोर्ट 'वर्ल्ड एम्प्लायमेंट एंड सोशल आउटलुक' में वर्ष 2017 तथा 2018 में भारत की बेरोजगारी दर 3.5% बढ़ने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोज़गारों की संख्या वर्ष 2017 के 17.8 मिलियन की बजाय वर्ष 2018 में 18.3 मिलियन रहने की उम्मीद है।
3. स्वास्थ्य सेवाएं- नेशनल हैल्थ प्रोफाइल 2015 के अनुसार देश में प्रति 61000 लोगों पर औसतन 1 सरकारी अस्पताल है और प्रति 1883 लोगों पर सरकारी अस्पताल के सिर्फ 1 बैड का औसत है। देश में प्रति 1700 लोगों पर औसतन 1 डॉक्टर है।
भारत अपनी जीडीपी का महज 1% सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च करता है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सभी देशों को जीडीपी का 5% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना चाहिए।
4. बाढ़- हर साल मानसून आते ही देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे लाखों लोग सीधे प्रभावित होते हैं। दुनिया में बाढ़ की वजह से होने वाली प्रत्येक पांचवीं मौत भारत में होती है। राज्यसभा के अनुसार वर्ष 2005 में बाढ़ से 1455 मौतें हुई, वर्ष 2008 में 2876, वर्ष 2014 में 1968 तथा वर्ष 2017 में 2015 मौतें बाढ़ से हुई।
मुम्बई दुनिया के उन चुनिंदा शहरों में से एक है जिसकी रफ्तार कभी नही थमती लेकिन मानसून के दिनों में भारत की यह आर्थिक राजधानी समुद्र बन जाती है।
5. गिरता रुपया - रुपया अब तक के निचले स्तर 69.12 तक पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि रुपये और केंद्र सरकार के बीच प्रतियोगिता चल रही है कि कौन ज़्यादा गिरेगा। खैर अब दिल्ली में खुद मोदी जी की सरकार है तो पता नहीं कि रुपये की प्रतियोगिता अब किस से चल रही है।
6. जनसंख्या- विश्व बैंक के अनुसार 2016 में भारत की जनसंख्या 132.42 करोड़ थी। जनसंख्या के मामले में हम दुनिया मे दूसरे नम्बर पर हैं जबकि क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व में हम सातवें स्थान पर हैं। चीन हमसे क्षेत्रफल में तीन गुना बड़ा है लेकिन उसकी आबादी हमसे महज पांच करोड़ ज़्यादा है।
7. विदेशी नीति- प्रधानमंत्री के लगभग आधी से ज़्यादा दुनिया घूमने के बाद भी हमारी विदेश नीति अनिश्चित है। चीन हमें कभी भी आँखें दिखा देता है, चीन की वजह से ही हम मसूद को आतंकी सूची में नही डलवा पाए और उन दिनों को भी ज़्यादा वक़्त नही हुआ जब चीन ने हमारी सीमा के 19 किमी अंदर टेंट लगाकर चीन का झंडा लगा दिया था। विदेश नीति की कमजोरी की ही वजह है कि कभी हमें अमेरिकी दवाब में ईरान से तेल आयात कर करना पड़ता है और कभी रूस से रक्षा सौदे टालने पड़ते हैं। इसे कमजोर विदेश नीति ही कहेंगे बांग्लादेश जैसे छोटे देश के दवाब में आकर हमें ब्रिटिश सांसद का वीजा रदद् करना पड़ता है और हमारा सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास कर रहा है, ऐसा हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि रूस पाकिस्तान से मिल सकता है। यह सब हमारी विदेश नीति की ही तो असफलता है।
8. किसान आत्महत्या- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड बयूरो के अनुसार वर्ष 2014 में देश में 5650 किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या का यह आंकड़ा 2004 में 18241 पर था।
देश में होने वालों कुल आत्महत्याओं का 11.2 % किसान होते हैं। ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से किसानों को आत्महत्या करनी पड़ती है? शायद किसी भी सरकार ने यह जानने का प्रयास आज तक नही किया?
9. बिजली- दूर की बात छोड़ो जिस शहर में मैं रहता हूँ, वहां इन दिनों मुश्किल से 6-8 घण्टे बिजली का औसत है और मैं देश के एक संम्पन्न क्षेत्र में रहता हूं। यहाँ कारोबार उद्योग-धंधे अच्छी तरह से फले फुले हुए हैं। जब देश के संम्पन्न क्षेत्र का हाल यह है तो पिछड़े हुए क्षेत्रों का क्या हाल होगा।
10. ट्रेनें- आज शायद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है परन्तु जो ट्रेनें मौजूदा वक्त में चल रही हैं उनमें भीड़ इस कदर है कि इसकी तो बात ही हम नही करते परन्तु समय पर जरूर बात करना चाहूंगा। देश में बहुत कर ऐसी ट्रेनें हैं जो समय पर चल रही हैं। कुछ दिन पहले तो हालात यह थे कि ट्रेनें अपने ठीक दिन से भी एक दो दिन पीछे चल रहीं थीं।
यह कुछ समस्याएं मेरे दिमाग में आई तो मैंने आपके सामने रख दीं परन्तु यह सब सरकार के लिए समस्या की श्रेणी में आती हैं या नही , यह तो भविष्य ही बताएगा। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता वाली समस्या से तो आप रूबरू हो ही गए हैं।

तीन तलाक और भारत की समस्याएं

विश्व बैंक के ताजा आँकड़ों के अनुसार भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हमनें छठे स्थान पर पहुँचने के लिए फ्रांस को पीछे ध...