Thursday, March 1, 2018

गरीब जनता के अमीर सांसद

कैबिनेट ने एक बार फिर सांसदों के भत्ते बढ़ाने का फ़ैसला किया है। संसदीय मामलों के मंत्रालय ने निर्वाचन क्षेत्र भत्ते को बढ़ा कर 45000 रूपए से 70000 रुपए कर दिया है, फर्नीचर भत्ते को बढ़ा कर 75000 रुपये से 1 लाख रुपये कर दिया है साथ ही कार्यालय खर्च के लिए मिलने वाले भत्ते को 45000 से बढ़ाकर 60000 रुपये कर दिया गया है।
केन्द्र सरकार एक सांसद पर 2•7 लाख रुपये खर्च करती थी परंतु इस बढ़ोतरी के बाद अब यह खर्च 3•2 लाख रुपये हो जाएगा।
सांसदों को मिलने वाली सुविधाओं को सांसद एवं स्वंय सरकार कम मान रही थी इसलिए उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री एवं गोरखपुर के पूर्व सांसद योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सांसदों का वेतन निर्धारण करने के लिए एक कमेटी गठित की गई थी। जिसने अपनी 64 सिफारिशें केंद सरकार को सोंपी थी। जिसमें सांसदों का वर्तमान वेतन और पेंशन दोगुना करने के साथ ही भत्तों में बढ़ोतरी की सिफारिश भी की गई थी। हालांकि सरकार ने इनमें से ज़्यादातर सिफारिशों को नामंजूर कर दिया परंतु कुछ भत्तों को बढ़ाकर सांसदों को मिलने वाले वेतन (वेतन एवं भत्ते) को बढ़ा कर 2•7 लाख रुपये से 3•2 लाख रुपये कर दिया।
आइये विस्तार से जानते हैं कि हमारे सांसदों को कितनी सैलरी ओर भत्ते मिलतें हैं
सांसदों को उनका वेतन एवं भत्ते मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट 1954 सैलरी, अलाउंस और पेंशन के तहत दिया जाता है। इस एक्ट के तहत इसके नियम समय समय पर बदले भी जा सकते हैं।
लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों को प्रति माह 50000 रुपए का वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त संसद सत्र के दौरान 2000 रुपए दैनिक भत्ता भी मिलता है।
सांसदों को 45000 रुपये महीना संविधानिक भत्ता भी मिलता है।
ऑफिस भत्ते के नाम पर हर सांसद को 45000 रुपए प्रति माह मिलते थे जो अब बढ़कर 60000 रुपए प्रति माह हो गए हैं। इसमे 20000 रुपए स्टेशनरी एवं पोस्ट आइटम्स के लिए और 40000 रुपए सांसद को अपने सहायक के वेतन के लिए मिलते हैं।
यात्रा भत्ता
संसद सत्र, मीटिंग या ड्यूटी से जुड़ी किसी भी मीटिंग को अटेन्ड करने के लिए सांसद को यात्रा भत्ता भी दिया जाता है।
सड़क यात्रा के दौरान 16 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से यात्रा भत्ता मिलता है। इसके अतिरिक्त हर महीने एक फ्री फर्स्ट क्लास एसी ट्रैन का पास और एक फर्स्ट क्लास और एक सेकेंड क्लास का किराया भी इन्हें दिया जाता है। हवाई यात्रा के दौरान सांसद को किराए का 25% ही देना पड़ता है तथा अपने साथ पति या पत्नी को भी ले जा सकते हैं। इस तरह की 34 हवाई यात्राएं एक सांसद साल भर में कर सकता है।
टेलीफोन भत्ता
एक सांसद को तीन टेलीफोन रखने जा अधिकार है। इन तीनों टेलीफोनों का खर्चा सरकार खुद उठती है। इन फोन में से हर फोन से सांसद 50000 कॉल प्रति वर्ष मुफ्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त हर सांसद को एक MTNL का तथा एक अन्य प्राइवेट कंपनी का मोबाइल फोन भी मिलता है, जिसमे MTNL या BSNL की 3G सेवा भी मुफ्त है।
बिजली-पानी
प्रत्येक सांसद को प्रति वर्ष 4000 किलो लीटर पानी और 50000 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाती है। अगर वह एक साल में इसका उपयोग नही कर पाता तो यह अगले साल के कोटे में जुड़ कर मिलती है।
स्वास्थ्य संबंधी सुविधायें
प्रत्येक सांसद को स्वास्थ्य के नाम पर हर वो सुविधा मिलती है, जो केंद्र सरकार स्वास्थ्य स्कीम के तहत प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को दी जाती है।
आवास
प्रत्येक सांसद को सरकार दिल्ली में सरकार के गेस्ट हाउस या होटल या सरकारी बंगलों रहने की व्यवस्था करती है। यहाँ पर सांसद सपरिवार रह सकता है। यहां का सभी खर्च सरकार उठती है।
सांसदों को हर तीन माह में घर के पर्दे और कपड़े धुलवाने के लिए 50000 रुपये मिलते हैं।
द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार एक सांसद पर 2•7 लाख रुपए खर्च प्रति माह करती थी परंतु इस बढ़ोतरी के बाद यह बढ़कर 3•2 लाख रुपए प्रति माह हो गया।
इनकम टैक्स

इतना वेतन और भत्ते मिलने के बाद भी इनको किसी तरह का कोई भी कर नही भरना पड़ता अर्थात इनका पूरा वेतन एवं भत्ते पूरी तरह से आयकर मुक्त हैं।
पूर्व सांसदों को मिलने वाली सुविधाएं
पूर्व सांसद को 20000 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है। सांसदों को डबल पेंशन लेने का भी हक़ है, जैसे कोई सांसद जो पहले विधायक भी रहा हो, उसे दोनों पेंशन मिलती हैं। पूर्व सांसद का देहांत हो जाने पर भी उसके परिजनों को आधी पेंशन मिलती है।
पूर्व सांसद को भी फ्री एसी फर्स्ट क्लास में असीमित रेल यात्रा करने की छूट हैं।
देश मे इस बढ़ोतरी का विरोध भी देखा जा रहा है। निजी संस्था ADR एवं लोक प्रहरी ने इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इस पर रोक लगाने की मांग की है।
संसद की आदर्श कैंटीन
सांसदों का वेतन तीन लाख से ऊपर हो गया है इसके बावजूद उन्हें संसद की कैंटीन से मिलने वाले खाने पर बड़ी छूट मिलती थी।
इस कैंटीन में मटन करी महज 20 रुपए में, चिकन करी 29 रुपए में, कॉफी 4 रुपए में, मसाला डोसा 6 रुपए में, शाकाहारी थाली 18 रुपए में और मांसाहारी थाली 33 रुपए में मिल जाती थी। सरकार इस कैंटीन को 16 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती थी।
कैंटीन में सब्सिडी वाली कीमतों पर खाद्य सामग्री मिलने को लेकर समय समय पर विरोध भी होते रहे हैं, इसकी वजह से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को कीमतों में बदलाव करने का आदेश देना पड़ा। लोकसभा सचिवालय ने इस पर समीक्षा करके कीमतों में बदलाव किया। अब यह कैंटीन नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर चल रही है।

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